मिथिला की बेटी अर्चना सिंह ने पुनः एक  इतिहास रच डाली न्यूयॉर्क में 

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अर्चना सिंह
मधुबनी, 
जिला के मधेपुर प्रखंड निवासी मिथिला की बेटी अर्चना सिंह ने पुनः एक  इतिहास रच डाली।अर्चना सिंह को शुक्रवार को ‘द वन शो 2025’ में ‘बेस्ट ऑफ़ शो’ का सर्वोच्च सम्मान न्यूयॉर्क में मिला | मिथिला | भारत और मध्य पूर्व के लिए यह गर्व का पल है।मधेपुर ड्योढी निवासी डॉ टीपी सिंह व श्रीमती शीला सिंह की बेटी, अर्चना ने विश्व प्रसिद्ध विज्ञापन पुरस्कार ‘द वन शो’ में ‘बेस्ट ऑफ़ शो’ जीतने वाली पहली भारतीय बन गई हैं।बर्ष 1975 में स्थापित दी वन शो  को वैश्विक रचनात्मक उद्योग में सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार माना जाता है। प्रत्येक साल  दुनिया भर से हज़ारों प्रविष्टियों में से केवल एक को यह शीर्ष सम्मान दिया जाता है। ऐसे काम को, जो न सिर्फ़ रचनात्मक रूप से उत्कृष्ट हो, बल्कि समाज में वास्तविक बदलाव लाने की ताक़त भी रखता हो।अर्चना सिंह का विजयी अभियान यूएन महिला के लिए तैयार किया गया था। यह एक साधारण सी लगने वाली शादी का निमंत्रण पत्र जैसा दिखा। परन्तु यह सम्मान एक गंभीर सच्चाई उजागर करता है।बाल विवाह पर आधारित यह काम उनके लिए व्यक्तिगत रूप से बेहद खास था।प्रेरणा मिली उनकी अपनी दादी स्व. श्रीमती झाड़ीलता बहुआसिन, धर्मपत्नी स्व श्री राम नंदन सिंह, की कहानी से, जिन्हें बचपन में विवाह के बंधन में बांध दिया गया था। अर्चना ने यह सम्मान अपनी दादी को समर्पित करते हुए कहा यह मेरे वंश की और उन तमाम स्त्रियों की आवाज़ है, जिनकी कहानियां कभी सुनाई ही नहीं गईं। ऐतिहासिक उपलब्धि के साथ अर्चना बेस्ट ऑफ़ शो’ जीतने वाली पहली भारतीय बनीं।मध्य पूर्व के लिए यह सम्मान लाने वाली पहली क्रिएटिव भी बनीं। दुबई में कार्यरत, और मूल रूप से मिथिला के मधेपुर मधुबनी बिहार की रहने वाली अर्चना, उन जगहों में जन्म लेने वाली बेटियों के लिए एक नई कहानी लिख रही हैं। जहां आज भी उनका जन्म अक्सर चुपचाप स्वीकारा जाता है।यह जीत सिर्फ़ मेरी नहीं है।उन्होंने कहा यह हर उस लड़की की जीत है, जिसे बोलने से पहले ही चुप करा दिया गया।  हर उस महिला की, जिसकी कहानी सुनने लायक़ है।जहां आज भी बेटियों के जन्म पर सन्नाटा पसरा होता है। वहां की एक बेटी ने अब पूरी दुनिया को अपनी आवाज़ से हिला दिया है।अर्चना अपनी इस सफलता का सम्पूर्ण श्रेय अपनी दो वर्ष की बेटी अमैरा सिंह भारद्वाज, अपने जीवनसाथी अनूप भारद्वाज, और अपने पंखों को उड़ान देने वाले अपने माता-पिता को देती हैं।अर्चना को बाल्यकाल से ही अपनी नानी जी व दादी जी से अप्रतिम कौलिक संस्कार मिलती रही।

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