धनतेरस के दिन 13 दीपों को प्रज्वलित करने का विधान 

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मधुबनी
कार्तिक मास कृष्णपक्ष की त्रयोदशी के दिन को धनतेरस के रूप में मनाया जाता है। धनतेरस के दिन 13 दीपों को प्रज्वलित करने का विधान है। इस दिन को देवताओं के प्रधान चिकित्सक भगवान धन्‍वंतरि के प्राकट्य दिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। स्टेशन चौक स्थित हनुमान प्रेम मंदिर के पुजारी पंडित पंकज झा शास्त्री ने बताया पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान धन्‍वंतरि ने कलश में भरे हुए अमृत को देवताओं को पिलाकर अमर बना दिया था। भगवान धन्‍वंतरि जी को आयुर्वेद प्रवर्तक माना गया है। दीपावली का आगमन धनत्रयोदशी यानि धनतेरस पर्व के साथ होता है। धनतेरस के दिन मां लक्ष्मी और कुबेर की पूजा होती है। इसके अलावा भगवान धन्‍वंतरि की पूजा का विधान है। साथ ही इस मौके पर मृत्‍यु के देवता यमराज की पूजा भी की जाती है।पौराणिक कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन से उत्पन्न हुए भगवान धन्‍वंतरि को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। इस खास पर्व पर मां लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की अराधना की जाती है। धनतेरस की पूजा को लेकर ऐसी मान्यता है कि स्थिर लग्न के दौरान ही मां की अराधना करने में घर में लक्ष्मीजी का वास होता है। इतना ही नहीं पंडित पंकज झा शास्त्री ने कहा धनतेरस की पूजा में 13 चीजों का होना आवश्यक माना गया है।इस बार धनतेरस मे बाजार से भौतिक सामाग्री खरीदारी हेतु उत्तम समय 10 नवम्बर ,शुक्रवार को दिन के 12:01 से रात्रि 08:41 तक रहेगा,इसके उपरांत रात्रि 10:21 से रात्रि 04:03 तक खरीदारी करना बेहतर होगा। 10 अक्टूबर को त्रयोदशी तिथि आरम्भ दिन के 11:57 उपरांत होगा जो अगले दिन शनिवार दिन के 01:23 तक रहेगा।

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