मधुबनी और दरभंगा जिले में कृषि का होगा कायाकल्प;;- सांसद संजय झा

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राज्यसभा सदस्य 
मधुबनी
मोहन झा
राज्यसभा सदस्य एवं जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया है कि मिथिला में पश्चिमी कोसी नहर के विस्तारीकरण, पुनर्स्थापन एवं आधुनिकीकरण की 8678.29 करोड़ रुपये (प्राइस लेवल जून 2025) की महत्वाकांक्षी परियोजना को मंगलवार को राज्य मंत्रिमंडल की ओर से मंजूरी मिलने पर  मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी और इस परियोजना में केंद्र सरकार की ओर से वित्तीय सहयोग के फैसले के लिए  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का कोटि कोटि आभार।इस परियोजना के अंतर्गत कुल 741 किलोमीटर लंबी नहरों की सीमेंट-कंक्रीट लाइनिंग की जाएगी। नहर पक्की हो जाने से रबी और खरीफ दोनों फसल सीजन में यानी सालोभर पानी बिना किसी रुकावट के नहरों के अंतिम छोर तक पहुंचेगा। इससे मधुबनी और दरभंगा जिले में सालभर में कुल 3,70,956 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई के लिए पर्याप्त जल उपलब्ध होगा। इससे दोनों जिलों में कृषि का कायाकल्प हो जाएगा। इसके साथ ही नहर के एक किनारे के तटबंध पर कुल 338 किलोमीटर लंबी सड़कों का निर्माण कराया जाएगा। इससे दोनों जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में आवागमन और सुगम हो जाएगा।इस परियोजना के तहत पश्चिमी कोसी मुख्य नहर के नेपाल भूभाग में स्थित कि.मी. 0.00 से कि.मी. 35.13 तक और भारतीय भूभाग में आवश्यकतानुसार पश्चिमी कोसी मुख्य नहर एवं इसकी वितरण प्रणालियों की लाइनिंग (पक्कीकरण) कराई जाएगी। इसके साथ ही अतिरिक्त 58658 हेक्टेयर कृषि योग्य कमांड क्षेत्र के सृजन के उद्देश्य से उगनाथ शाखा नहर, विदेश्वरस्थान शाखा नहर और काकरघाटी शाखा नहर का विस्तार कराया जाएगा। इसके अतिरिक्त परियोजना के तहत कुल 990 नई संरचनाओं का निर्माण कराया जाएगा, जबकि 763 संरचनाओं की मरम्मति कराई जाएगी। इनमें 260 पुलों के निर्माण और 407 पुलों की मरम्मति, 558 रेगुलेटर्स के निर्माण जबकि 218 की मरम्मति, 158 क्रॉस ड्रेनेज स्ट्रक्चर्स के निर्माण जबकि 127 की मरम्मति, 11 नये फॉल्स के निर्माण जबकि 11 की मरम्मति और 3 प्रोटेक्शन वर्क का प्रस्ताव है। पुलों के निर्माण से नहर के दोनों ओर आवागमन सुगम हो जाएगा। वहीं रेगुलेटर्स एवं अन्य संरचनाओं के निर्माण से न केवल सिंचाई की सुविधा सुनिश्चित होगी, बल्कि बाढ़ के पानी का भी बेहतर प्रबंधन हो सकेगा। इस ऐतिहासिक कार्य से दरभंगा जिला अंतर्गत अलीनगर, बहेड़ी, बिरौल, घनश्यामपुर, गौड़ाबौराम, हनुमान नगर, किरतपुर, कुशेश्वरस्थान, कुशेश्वरस्थान पूर्वी, हायाघाट, तारडीह, मनीगाछी, केवटी, दरभंगा सदर, बेनीपुर और बहादुरपुर (कुल 16 प्रखंड) तथा मधुबनी जिला अन्तर्गत लौकही, खुटौना, घोघरडीहा, फुलपरास, बाबूबरही, अंधराठाढ़ी, झंझारपुर, मधेपुर, लखनौर, खजौली, लदनियाँ, लौकहा, राजनगर, पंडौल, कलुआही, रहिका, बेनीपट्टी, बिस्फी, बासोपट्टी, हरलाखी एवं मधवापुर (कुल 20 प्रखंड) के कुल करीब 24 लाख लोग लाभान्वित होंगे।बिहार की सिंचाई परियोजनाओं पर पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में ध्यान नहीं दिया गया। पूर्व के वर्षों में योजनाएं शुरू तो की जाती थीं, लेकिन उसे पूरा कराने को लेकर कोई स्पष्ट रणनीति नहीं थी। इसी कड़ी में पश्चिमी कोसी नहर परियोजना भी दशकों से लंबित थी। वर्षों पहले जिन कुछ नहरों का निर्माण हुआ भी था, उनमें से ज्यादातर समय के साथ मृतप्राय हो गई थीं। मुख्यमंत्री जी ने जब मुझे जल संसाधन मंत्री के रूप में कार्य करने का जिम्मा दिया, तब मैंने  पश्चिमी कोसी नहर परियोजना की मृतप्राय संरचनाओं के पुनर्स्थापन और अवशेष कार्यों की एक योजना तैयार पर कार्य शुरू कराया झा। इसके लिए दिसंबर 2020 में 735 करोड़ रुपये का वर्क ऑर्डर जारी हुआ था। यह कार्य होने से दोनों जिलों की कई पंचायतों में पहली बार नहर का पानी पहुंचा, जिससे किसानों में खुशी देखी गई।

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