बिहार की नहर परियोजनाओं पर बड़ी पहल पश्चिमी कोसी और पश्चिमी गंडक नहर परियोजनाओं को मिली स्वीकृति
,जल संसाधन संबंधी संसद की स्थायी समिति के सदस्य संजय झा व अध्यक्ष राजीव प्रताप रुडी के संयुक्त प्रयासों से किसानों के हीत में यह महत्त्वपूर्ण प्रगति।
• जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद संजय झा के प्रयास से पश्चिमी कोसी नहर परियोजना (ईआरएम) को 8338.89 करोड़ रुपये की लागत पर स्वीकृति।
• पश्चिमी गंडक नहर प्रणाली (ईआरएम) को 5868.58 करोड़ रुपये की लागत पर स्वीकृति।
• दोनों परियोजनाओं से बिहार के लाखों किसान होंगे लाभान्वित।
• अब बिहार सरकार को राज्य वित्त सहमति प्रदान कर पीएमकेएसवाई-एआईबीपी योजना में प्रस्ताव भेजना है।
• सांसद रूडी ने संसद में कई बार पश्चिमी गंडक नहर प्रणाली का मुद्दा उठाया था कि नेपाल से आने वाला पानी बीच में चोरी हो जाता है, बिहार के खेत प्यासे रह जाते हैं।
• जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद श्री संजय झा के सक्रिय सहयोग से पश्चिमी कोसी नहर परियोजना को स्वीकृति।
30 अगस्त, 2025।
बैठक करते दोनों सांसद
मधुबनी
मोहन झा
बिहार के किसानों के लिए खुशखबरी। लंबे और निरंतर प्रयासों के बाद पश्चिमी कोसी नहर परियोजना तथा पश्चिमी गंडक नहर प्रणाली के विस्तार, नवीनीकरण एवं आधुनिकीकरण (ईआरएम) प्रस्ताव को केंद्र सरकार ने तकनीकी-आर्थिक दृष्टि से स्वीकृति प्रदान कर दी है। सारण सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री राजीव प्रताप रूडी, जो वर्तमान में संसद की जल संसाधन संबंधी स्थायी समिति के अध्यक्ष हैं, ने बताया कि इस ऐतिहासिक निर्णय से बिहार के लाखों किसानों को लाभ मिलेगा। जल संसाधन समिति में जदूय राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष सह राज्यसभा सांसद श्री संजय कुमार झा भी सदस्य है। सांसद श्री रूडी और सांसद श्री झा के संयुक्त प्रयास से पश्चिमी गंडक और पश्चिमी कोसी नहर परियोजनाओं को यह स्वीकृति मिली।पश्चिमी कोसी नहर परियोजना के संदर्भ में श्री संजय झा ने बताया कि परियोजना का लक्ष्य 2.15 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचित करना है। परियोजना की लागत लगभग 8338.89 करोड़ रुपये आंकी गई है और इसे जल संसाधन मंत्रालय की सलाहकार समिति ने 8 जुलाई 2025 को स्वीकृति प्रदान की। इस परियोजना से सहरसा, मधेपुरा, सुपौल सहित कोसी क्षेत्र के किसानों को राहत मिलेगी। उन्होंने कहा कि अब बिहार सरकार को राज्य वित्त सहमति प्रदान कर इन परियोजनाओं को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई-एआईबीपी) में शामिल करने की प्रक्रिया पूर्ण करनी होगी। उन्होंने विश्वास जताया कि इन परियोजनाओं की शीघ्र स्वीकृति और क्रियान्वयन से बिहार के खेतों तक पानी पहुंचेगा और किसानों को राहत मिलेगी।इसी तरह पश्चिमी गंडक नहर प्रणाली के संदर्भ में समिति के अध्यक्ष श्री रुडी ने बताया कि परियोजना का ईआरएम भी स्वीकृत कर लिया गया है। इस पर कुल 5868.58 करोड़ रुपये की लागत आएगी। यह परियोजना उत्तर प्रदेश और बिहार दोनों राज्यों को जोड़ती है और विशेष रूप से सारण प्रमंडल के सारण, सिवान और गोपालगंज के किसानों के लिए जीवन रेखा साबित होगी। गंडक नहर प्रणाली पर पहले ही 1184.48 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं और शेष कार्य केंद्र सरकार के सहयोग से पूर्ण होगा।श्री रुडी ने यह भी कहा कि बिहार के किसानों के हक का पानी हर हाल में उन्हें मिलेगा। उन्होंने संसद में कई बार यह यह मुद्दा उठाया कि नेपाल से आने वाला पानी बीच में चोरी हो जाता है, बिहार के खेत प्यासे रह जाते हैं। आज इसका परिणाम सामने आ रहा है। आने वाले समय में नहरों में पर्याप्त पानी होगा और खेतों में हरियाली लौटेगी।
